Spreadtalks Webteam: चंडीगढ़: फसलों की अच्छी उपज और किसानों की आय बढ़ाने के लिए समय-समय पर नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं, जिससे किसान नई-नई किस्मों की खेती कर रहे हैं। पूरे विश्व में भारत को एक कृषि प्रधान देश कहा जाता है। कारण यह है कि यहां 70 फीसदी किसान हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग फसलें उगाई जाती हैं।
फसलों की अच्छी उपज और किसानों की आय बढ़ाने के लिए समय-समय पर नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं, जिससे किसान नई-नई किस्मों की खेती कर रहे हैं। वहीं आज हम आपको रबी फसल में काले गेहूं की बिजाई के बारे में बता रहे हैं, जिसमें किसान कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाएंगे.
काले गेहूं की खेती
अगर आप किसान हैं और कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली ऐसी फसल की बुवाई करना चाहते हैं तो आपको रबी सीजन यानी अक्टूबर-नवंबर में काले गेहूं की खेती करनी चाहिए.
इस खेती की खासियत यह है कि इसमें लागत भी कम आती है और यह सामान्य गेहूं की तुलना में चार गुना अधिक कीमत पर बिकती है।
काले गेहूं की बुआई कैसे करें
काले गेहूं की खेती के लिए अक्टूबर और नवंबर उपयुक्त महीने हैं। काले गेहूं की खेती के लिए पर्याप्त मात्रा में नमी होनी चाहिए.
इसकी बुवाई के समय 60 किग्रा डीएपी, 30 किग्रा यूरिया, 20 किग्रा पोटाश और 10 किग्रा जिंक प्रति एकड़ खेत में प्रयोग करें। फसल की सिंचाई से पहले पहली बार 60 किग्रा यूरिया प्रति एकड़ डालें।
सिंचाई का सही समय
काले गेहूं की बुआई के 21 दिन बाद सिंचाई करें. इसके बाद नमी की मात्रा के अनुसार समय-समय पर सिंचाई करते रहें। बालियां निकलने पर सिंचाई अवश्य करें।
साधारण गेहूं और काले गेहूं में क्या अंतर है
काले गेहूं में एंथोसायनिन पिगमेंट की मात्रा अधिक होती है। इसके कारण यह काला दिखाई देता है। इसमें 40 से 140 पीपीएम एंथोसायनिन होता है, जबकि सफेद गेहूं में 5 से 15 पीपीएम ही होता है।
काले गेहूं के खास फायदे
काले गेहूं में एंथ्रोसायनिन यानी प्राकृतिक एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटीबायोटिक भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो हार्ट अटैक, कैंसर, डायबिटीज, मानसिक तनाव, घुटनों के दर्द, एनीमिया जैसी बीमारियों को दूर करने में सफल होता है। काले गेहूं में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं, जिसके कारण बाजार में इसकी काफी मांग होती है और उसी हिसाब से कीमत भी होती है.