Mango Museum, आम खाना किसे पसंद नहीं होता खासकर गुजरात के केसर आम। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे फार्म के बारे में बता रहे हैं जहां आप दुनिया भर की हर किस्म के आम खा सकते हैं।
Mango Museum in Gujarat: हर खाने के शौकीन ने यह कहावत तो सुनी ही होगी कि जो आंख को भाता है, वही तालु को भाता है.
यदि इस महाकाव्य ज्ञान को एक बगीचे के नजरिए से देखा जाए तो कहावत यही होगी कि ‘जो आंख को ठंडक देता है, वही आत्मा को तृप्त करता है’। और अगर आप इस कहावत को सच होते देखना चाहते हैं तो आपको जूनागढ़ जिले के सासन गिर में एक अनोखे आम के बाग में जरूर जाना चाहिए।
यह बाग सुमित झरिया का है। उसके खेत में नारंगी, हल्का पीला, गहरा पीला, लाल, हरा आम हर तरह के रंग के मिलेंगे। वो भी बेहद मीठी महक के साथ।
सुमित अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी के किसान हैं और उन्होंने पिछले दो दशकों में कुछ देशी किस्मों के साथ आम की कई विदेशी किस्में लगाई हैं। सुमित और उनके पिता समसुद्दीन ने अमेरिका, जापान, थाईलैंड और इस्राइल से आम की किस्में लाकर अपने केसर आम के खेत में लगाईं।
वर्षों की मेहनत रंग लाई
यह गार्डन सुमित और उसके पिता की सालों की मेहनत का नतीजा है। यह उनकी मेहनत और अपार धैर्य का ही कमाल है कि उन्होंने केसर हब में और भी कई रंग जोड़े।
उनके पिता ने टीओआई को बताया, “विदेशी आमों में टीएसएस (चीनी) की मात्रा लगभग 15 है। भारतीय उपमहाद्वीप के आमों में यह 18 से 22 तक हो जाती है। किसान आम की विदेशी किस्में उगाते हैं क्योंकि मधुमेह रोगियों के बीच इसकी बहुत मांग है।” भविष्य में ऐसे विदेशी आम हमारे देश से उन जगहों पर निर्यात किए जा सकते हैं जहां लोग कम मीठे वाले पसंद करते हैं।
मैंगो म्यूजियम बनाया
सबसे दिलचस्प बात यह है कि पिता-पुत्र की यह जोड़ी अपने खेत में आम का म्यूजियम बनाना चाहती है। आज उनके संग्रहालय में आम की 230 किस्में हैं। दुनिया के सबसे महंगे आम माने जाने वाले जापान के टॉमी एटकिंस, पेस्ट, ओस्टीन और मियाज़ाकी आम जैसे अमेरिकी आमों से लेकर थाइलैंड के डॉक माई आम (1.5 किलो प्रति पीस) और इज़राइल की माया किस्म तक, झरिया यहां सब कुछ उगा रहे हैं।
उनका कहना है कि वह चाहते हैं कि लोग उनके फार्म पर दुनिया भर के आमों का स्वाद चखें। वे कृषि-पर्यटन को विकसित करना चाहते हैं और इसलिए वे पिछले कुछ समय से अपने लक्ष्य की दिशा में काम कर रहे हैं।