Rajasthan सरकार करेगी इस लोक देवता नाम से नये बोर्ड का गठन, जाने आदेश जारी हुए

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Spreadtalks Webteam:- Rajasthan Government Veer Tejali Welfare Board :राजस्थान सरकार ने वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड के गठन के फैसला लिया है। सामाजिक न्याय और आधिकारिता विभाग की ओर से इस संबंध में आदेश जारी किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी इस बोर्ड के गठन पर खुशी जताई है।

नागौर: राजस्थान सरकार ने गुरुवार को वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड के गठन की घोषणा की। राज्य के सामाजिक न्याय और आधिकारिता विभाग ने इस आशय का आदेश जारी किया। आदेश के अनुसार, राजस्थान सरकार की ओर से समाज की स्थिति का जायजा लेने, प्रमाणिक सर्वे रिपोर्ट के आधार पर इन वर्गों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बोर्ड का गठन किया जा रहा है। राजस्थान राज्य वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड करने जा रही है।

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बोर्ड में नौ गैर-सरकारी सदस्य होंगे। इनमें एक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष और सात सदस्य शामिल हैं। इनका मनोनयन राज्य सरकार करेगी। इसके अलावा, बोर्ड में नौ सरकारी सदस्य भी होंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बोर्ड के गठन पर खुशी जताई। उन्होंने ट्वीट किया, ‘राजस्थान राज्य वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड का गठन होने पर सभी को बहुत-बहुत बधाई। लोक देवता श्री तेजाजी महाराज के नाम से गठित यह बोर्ड किसान समाज के कल्याण और आर्थिक उत्थान में मददगार साबित होगा।’

कौन है वीर तेजाजी महाराज
वीर तेजाजी राजस्थान के लोक देवता के तौर पर अपनी पहचान रखते हैं। राजस्थान के अलावा वीर तेजाजी महाराज की ख्याति मध्यप्रदेश और गुजरात में भी है। 29 जनवरी 1074 में उनका जन्म नागौर के खरनाल गांव में हुआ था। वंशावली के अनुसार तेजाजी का जन्म राजपूत परिवार में हुआ था। कुछ ऐसे भी तर्क है, जहां उनका जन्म जाट परिवार में होने के संबंध में जानकारी दी जाती हैं। लेकिन साल 2019 में खरनाल गांव में बने मंदिर में उनकी वंशावली पढ़ी गई थी, जिसमें यह जिक्र किया गया है कि वो खिंची राजपूत हैं। इन सभी बातों के बीच बड़ी बात यह है कि जाट और राजपूत समाज के आराध्य लोक देवता वीर तेजाजी राजस्थान के हर समाज के लोगों के बीच आस्था के बड़े केंद्र के रूप में जाने जाते हैं।

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गौ-रक्षक के तौर पर पहचान, सर्प-दंश हो जाता है दूर
वीर तेजा गौरक्षक के लिए भी जाने जाते हैं। एक दंत कथा के अनुसार वीर तेजाजी एक बार जब मेणा नाम के एक डाकू से गायों से छुड़वाने के लिए जा रहे थे। इस दौरान रास्ता में उनके घोड़े के सामने एक सर्प आ गया और उसने उनका रास्ता रोक दिया था। इस दौरान उस सर्प को वीर तेजाजी ने यह वचन दिया था कि वो गायों को बचाने के बाद खुद उनके सामने आएंगे और उसे खुद डसने का मौका देंगे।

जंगल में डाकू मेणा और उसके साथियों के साथ वीर तेजा भयंकर युद्ध कर उन सभी को मार देते हैं। उनका पूरा शरीर घायल हो जाता है। इसी अवस्था वह अपना वचन पूरा करने के लिए उसी नाग की पास जाते हैं। घोड़े पर सवार वीर तेजा के पूरा तरह से घायल शरीर को देख नाग तेजा से पूछता है कि ‘तुम्हारा तो पूरा शरीर कटा-पिटा है, मैं दंश कहां मारूं?’ तब वीर तेजा उसे अपनी जीभ दिखाकर कहते हैं- ‘हे नाग, मेरी जीभ सुरक्षित है, आप इस पर डस लो।’ बताया जाता है कि वीर तेजा की वचनबद्धता देखकर नाग उन्हें आशीर्वाद देता है। तभी से लोग उन्हें सर्प दंश को दूर करने वाले देव के तौर पर भी पूजते हैं। माना जाता है कि जो लोग सांप के काटने के बाद वीर तेजाजी को याद करते या उनके मंदिर में जाते हैं, तो वह ठीक हो जाते हैं।

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