Spreadtalks Webteam:- जयपुर: राजधानी स्थित चाकसू शीतला माता मंदिर का मेला बुधवार को लगेगा। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचकर माता के मंदिर के दर्शन करेंगे। होली के बाद पूरे देश में शीतल अष्टमी की धूम मची हुई है. राजस्थान में इसे लेकर खास उत्साह है। यह पर्व बुधवार को मनाया जा रहा है. राजधानी जयपुर में भी इसे लेकर खास उत्साह है। लेकिन इसके लिए दो दिवसीय वार्षिक लक्खी मेले की तैयारी चल रही है। मेले की शुरुआत 14 मार्च से होगी। बता दें, हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और मां शीतला के दर्शन करते हैं। वार्षिक लक्खी मेले के दौरान यहां कई विशेष सांस्कृतिक झलकियां भी देखने को मिलती हैं। इस दौरान मंदिर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं।
इस चमत्कार के बाद राजा माधो सिंह ने चाकसू की पदड़ी (डूंगरी) पर एक मंदिर और बरामदा बनवाया था। मंदिर में मां शीतला की मूर्ति विराजमान है। यहां की खास बात यह है कि मेले के दौरान यहां समाज के कई लोगों की पंचायत होती है और आपसी मतभेद (विवाद) भी यहीं सुलझते हैं।
राजपरिवार ही पहला भोग लगाता है
राजपरिवार द्वारा कराए गए इस मंदिर के निर्माण के बाद उनका यहां से गहरा लगाव है। इसलिए अब भी शीतलाष्टमी पर जयपुर राजघराने द्वारा भेजा गया प्रसाद ही सबसे पहले मां को भोग लगाया जाता है। इसके बाद भक्तों द्वारा अपने घरों से लाए गए बासी पकवानों का भोग लगाकर मां के दरबार में जल का छिड़काव किया जाता है.
माँ को ठंडे पकवानों का भोग लगता है
मान्यता है कि शीतला माता की पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। शीतला माता को चेचक की देवी कहा जाता है। माता की कृपा संतान पर बनी रहे, इसी श्रद्धा से लोग उनकी पूजा करते हैं और सप्तमी को प्रसाद के रूप में तैयार भोजन ग्रहण करते हैं। चाकसू शील डूंगरी शीतला माता मंदिर में भी लोग पुराने समय से घर में बने ठंडे व्यंजन जैसे पून, पकौड़ी और रबड़ी आदि लेकर आते हैं। फिर यहां माता को भोग लगाने के बाद ही भोजन किया जाता है।