TRAI New Rule: ट्राई ने लागू किया नया नियम सभी मोबाइल कंपनियों पर ट्राई की अथॉरिटी है जो समय-समय पर बड़े बदलाव करती रहती है टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया प्राइस को नाम दिया गया नया नियम हाल ही में इसके द्वारा लागू किया गया है जिसमें फर्जी कॉल और एसएमएस होंगे रोकी जाए, इसके तहत उन्होंने एक नई योजना शुरू की है जो 1 मई से लागू होगी।
भारत सरकार के अधीन काम करने वाली टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने एक नया नियम लागू किया है, जिसके जरिए उसने हाल ही में मोबाइल पर आने वाले फर्जी कॉल और एसएमएस को रोकने के आदेश जारी किए हैं, जिसके तहत सच ने मोबाइल कंपनियों को आदेश दिया है। जारी आदेश के तहत 1 मई 2023 से सभी टेलीकॉम कंपनियों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्पैम फिल्टर लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। इस एआई फिल्टर से फर्जी कॉल और एसएमएस बंद हो जाएंगे।
मोबाइल फोन यूजर्स को जल्द ही फेक कॉल्स और एसएमएस से छुटकारा मिल सकता है। दरअसल, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने सभी दूरसंचार कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे अपने फोन कॉल और मैसेज सेवाओं में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्पैम फिल्टर लगाएं। नए नियमों के मुताबिक ट्राई ने सभी टेलीकॉम कंपनियों को 1 मई से पहले कॉल और मैसेज फिल्टर लागू करने को कहा है। यह फिल्टर यूजर्स को फर्जी कॉल और मैसेज से बचाने में मदद करेगा।
ट्राई ने टेलीमार्केटिंग कंपनियों को मोबाइल फोन यूजर्स को परेशान करने वाले फर्जी और फ्रॉड कॉल्स को रोकने के निर्देश जारी किए हैं। 1 मई 2023 से इन नियमों को लागू करना अनिवार्य होगा। इसके लिए ट्राई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ले रहा है। ट्राई ने टेलिकॉम कंपनियों से अपने सिस्टम में एआई फिल्टर लगाने को कहा है। यह फ़िल्टर सामान्य 10 अंकों की संख्या से आने वाली सभी प्रचार कॉलों को ब्लॉक कर देगा।
क्या फायदा होगा?
यानी 1 मई से ऐसे 10 डिजिट के नंबर बंद हो सकते हैं, जो सामान्य इस्तेमाल के लिए होते हैं, लेकिन टेलीमार्केटिंग कंपनियां प्रमोशनल कॉल्स के लिए इस्तेमाल करती हैं। इससे यूजर्स के पास आने वाले फेक कॉल्स और प्रमोशनल मैसेज की संख्या में भारी कमी आएगी। भारतीय टेलीकॉम दिग्गज एयरटेल ने घोषणा की है कि वह सबसे पहले एआई फिल्टर पेश करेगी। यानी एयरटेल 1 मई से फिल्टर लगाना शुरू कर सकता है लेकिन रिलायंस जियो को अभी थोड़ा समय लग सकता है। ट्राई कॉलर आईडी फीचर पर भी काम कर रहा है जिसमें कॉलर का नाम और फोटो पता चल जाएगा। लेकिन कंपनियां कॉलर आईडी फीचर को लागू करने से परहेज कर रही हैं, क्योंकि इससे प्राइवेसी की समस्या हो सकती है।